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🎉 रूस के सब से अहम प्रतीक का जन्मदिन
मॉस्को के रेड स्क्वायर में स्थित 16वीं सदी में बना सेंट बेसिल कैथिड्रल एक बड़ी विजय की निशानी है। 1561 में आज ही के दिन इसका निर्माण पूरा हुआ था। क्या है वो विजय और किस के आदेश पर ये कैथिड्रल बनवाया गया? इस कैथेड्रल के जन्मदिन के मौके पर जानिए उससे जुड़ी अनोखी कहानियां हमारी ख़ास फिल्म से
रूस को जानिए, @RTDocumentary_India के साथ
मॉस्को के रेड स्क्वायर में स्थित 16वीं सदी में बना सेंट बेसिल कैथिड्रल एक बड़ी विजय की निशानी है। 1561 में आज ही के दिन इसका निर्माण पूरा हुआ था। क्या है वो विजय और किस के आदेश पर ये कैथिड्रल बनवाया गया? इस कैथेड्रल के जन्मदिन के मौके पर जानिए उससे जुड़ी अनोखी कहानियां हमारी ख़ास फिल्म से
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🚀 अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए क्या हैं योग्यताएं?
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोस्कोस्मोस’ ने अंतरिक्ष यात्रियों की नई भर्ती की घोषणा की। चूंकि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में ट्रेनिंग मिलती है, तो संभव है कि भारत के अंतरिक्ष मिशन में भर्ती होने के लिए भी यही मानदंड होंगे। जानिए कुछ मानदंड:
⭐️ उम्र: 35 से कम
⭐️ शिक्षा: पायलटिंग, इंजीनियरिंग या साइंस
⭐️ वज़न: 50-90 किलोग्राम
⭐️ कद (खड़े हुए) : 150-190 सेंटीमीटर, कद (बैठे हुए) 80-99 सेंटीमीटर
⭐️ छाती: 94-112 सेंटीमीटर
⭐️ पैर की लंबाई: 29.5 सेंटीमीटर तक
⭐️ कोई क्रॉनिक बीमारी नहीं
⭐️ शारीरिक फिटनेस
⭐️ प्रासंगिक मनोवैज्ञानिक गुण
दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री की कहानी हमारी फ़िल्म में देखिए
💬 क्या आप अंतरिक्ष यात्री बनने के योग्य होंगे?
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोस्कोस्मोस’ ने अंतरिक्ष यात्रियों की नई भर्ती की घोषणा की। चूंकि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में ट्रेनिंग मिलती है, तो संभव है कि भारत के अंतरिक्ष मिशन में भर्ती होने के लिए भी यही मानदंड होंगे। जानिए कुछ मानदंड:
⭐️ उम्र: 35 से कम
⭐️ शिक्षा: पायलटिंग, इंजीनियरिंग या साइंस
⭐️ वज़न: 50-90 किलोग्राम
⭐️ कद (खड़े हुए) : 150-190 सेंटीमीटर, कद (बैठे हुए) 80-99 सेंटीमीटर
⭐️ छाती: 94-112 सेंटीमीटर
⭐️ पैर की लंबाई: 29.5 सेंटीमीटर तक
⭐️ कोई क्रॉनिक बीमारी नहीं
⭐️ शारीरिक फिटनेस
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दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री की कहानी हमारी फ़िल्म में देखिए
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🚕 अनोखी गुज़ारिश, सुहाना सफर
काम के बोझ से परेशान हो कर कई बार आपका भी मन कहीं दूर भाग जाने को करता होगा। लेकिन मॉस्को के एक आदमी ने ये कर दिखाया। टैक्सी बुक की, और 1200 किलोमीटर से ज़्यादा के सफर कर समंदर के पास जा पहुंचा!
इस सफर के लिए उसने कितना किराया दिया? जानने के लिए देखिए हमारा ये दिलचस्प वीडियो
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काम के बोझ से परेशान हो कर कई बार आपका भी मन कहीं दूर भाग जाने को करता होगा। लेकिन मॉस्को के एक आदमी ने ये कर दिखाया। टैक्सी बुक की, और 1200 किलोमीटर से ज़्यादा के सफर कर समंदर के पास जा पहुंचा!
इस सफर के लिए उसने कितना किराया दिया? जानने के लिए देखिए हमारा ये दिलचस्प वीडियो
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🌕 आज लॉन्च होने जा रहा है चंद्रयान-3
अगर ये मानवरहित यान चंद्रमा पर उतरने में कामयाब रहा, तो ये मुकाम हासिल करने वाला, भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसरो मानव अंतरिक्ष मिशन पर भी काम कर रहा है।
अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने से पहले कैसे तैयारी करते हैं अंतरिक्ष यात्री? जानिए हमारी फिल्म से
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
अगर ये मानवरहित यान चंद्रमा पर उतरने में कामयाब रहा, तो ये मुकाम हासिल करने वाला, भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसरो मानव अंतरिक्ष मिशन पर भी काम कर रहा है।
अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने से पहले कैसे तैयारी करते हैं अंतरिक्ष यात्री? जानिए हमारी फिल्म से
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
Forwarded from RT हिंदी
भारत का 'मून मिशन', चांद की ओर बढ़ रहा चंद्रयान-3
भारत ने आज चंद्रयान-3 मिशन का सफल लॉन्च किया। आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 से इसे अतंरिक्ष में भेजा गया है। चंद्रयान-3 का लॉन्च तीसरे और अंतिम चरण में पहुंच गया है। अब क्रायोजेनिक इंजन स्टार्ट हो चुका है और चंद्रयान को लेकर आगे की ओर बढ़ रहा है।
चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे।
अगर यह अभियान सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जाएंगे। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे।
लेटेस्ट न्यूज़ @RT_Hindi
भारत ने आज चंद्रयान-3 मिशन का सफल लॉन्च किया। आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 से इसे अतंरिक्ष में भेजा गया है। चंद्रयान-3 का लॉन्च तीसरे और अंतिम चरण में पहुंच गया है। अब क्रायोजेनिक इंजन स्टार्ट हो चुका है और चंद्रयान को लेकर आगे की ओर बढ़ रहा है।
चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे।
अगर यह अभियान सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जाएंगे। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे।
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🇯🇵 रूसी धुनों पर नाचती जापानी लड़की
बैले डांसर बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए टोक्यो से मॉस्को आ पहुंची, रूसी नाम वाली एक जापानी लड़की। संगीत और डांस से मरीना को बचपन में ही प्यार हो गया था, लेकिन जापान में बैले डांस बहुत लोकप्रिय ना होने की वजह से उन्होंने रूस आने का फैसला किया।
मरीना ने अपना ज़्यादातर समय रूस में बिताया है, और ज़ाहिर है ये देश उनके लिए अब अनजान नहीं है – “मैंने अपनी आधी ज़िंदगी मॉस्को में बिताई है, तो मुझे लगता है कि मॉस्को ही मेरा घर है"। क्या वो जापान वापस जाना चाहेंगी? जानिए नए एपिसोड में
पहला एपिसोड यहां देखिए
दूसरा एपिसोड यहां देखिए
हर शुक्रवार, रूस में बसे विदेशियों की दिलचस्प कहानियां, सिर्फ
@RTDocumentary_India पर
बैले डांसर बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए टोक्यो से मॉस्को आ पहुंची, रूसी नाम वाली एक जापानी लड़की। संगीत और डांस से मरीना को बचपन में ही प्यार हो गया था, लेकिन जापान में बैले डांस बहुत लोकप्रिय ना होने की वजह से उन्होंने रूस आने का फैसला किया।
मरीना ने अपना ज़्यादातर समय रूस में बिताया है, और ज़ाहिर है ये देश उनके लिए अब अनजान नहीं है – “मैंने अपनी आधी ज़िंदगी मॉस्को में बिताई है, तो मुझे लगता है कि मॉस्को ही मेरा घर है"। क्या वो जापान वापस जाना चाहेंगी? जानिए नए एपिसोड में
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हर शुक्रवार, रूस में बसे विदेशियों की दिलचस्प कहानियां, सिर्फ
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रूस में भी बाढ़?
भारी बारिश के कारण उत्तरी भारत में घातक बाढ़ आ गई है, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए हैं। लेकिन क्या ये संकट इस क्षेत्र तक ही सीमित है?
जी नहीं! दक्षिणी रूस भी भीषण बाढ़ से पीड़ित है। अधिक जानने के लिए हमारा वीडियो देखें!
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भारी बारिश के कारण उत्तरी भारत में घातक बाढ़ आ गई है, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए हैं। लेकिन क्या ये संकट इस क्षेत्र तक ही सीमित है?
जी नहीं! दक्षिणी रूस भी भीषण बाढ़ से पीड़ित है। अधिक जानने के लिए हमारा वीडियो देखें!
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🥥 क्या आप जानते हैं?
‘दी ट्री ऑफ वेल्थ’, निर्देशक ए भास्कर राव द्वारा बनाई गई, एडिनबर्ग में एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री थी।
ये त्रावणकोर (आज का केरल) के नारियल पेड़ों पर केंद्रित थी। इस फिल्म में नारियल से साबुन, सिरका, खाना पकाने और जलाने के लिए तेल के इस्तेमाल के बारे में दिखाया गया। साथ ही नारियल को तोड़ने से लेकर उसे सुखाने और उसमें से तेल निकालने की प्रक्रिया भी दिखाई गई। स्थानीय महिलाओं द्वारा नारियल के रेशों से तार, चटाई, बैग, झाड़ू और ईंधन बनाया जाता है। नारियल के अनेक उपयोगों से ये केरल में लोगों के जीवन को दर्शाती है।
@RTDocumentary_India के साथ
डॉक्यूमेंट्री इतिहास के बारे में और जानें
‘दी ट्री ऑफ वेल्थ’, निर्देशक ए भास्कर राव द्वारा बनाई गई, एडिनबर्ग में एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री थी।
ये त्रावणकोर (आज का केरल) के नारियल पेड़ों पर केंद्रित थी। इस फिल्म में नारियल से साबुन, सिरका, खाना पकाने और जलाने के लिए तेल के इस्तेमाल के बारे में दिखाया गया। साथ ही नारियल को तोड़ने से लेकर उसे सुखाने और उसमें से तेल निकालने की प्रक्रिया भी दिखाई गई। स्थानीय महिलाओं द्वारा नारियल के रेशों से तार, चटाई, बैग, झाड़ू और ईंधन बनाया जाता है। नारियल के अनेक उपयोगों से ये केरल में लोगों के जीवन को दर्शाती है।
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डॉक्यूमेंट्री इतिहास के बारे में और जानें
रूसी स्टेट ड्यूमा ने देश में लिंग परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में एकतरफा मतदान किया।
'पिछले 10 सालों में US में ट्रांसजेंडरों की संख्या 50 गुना तक बढ़ गई है! 2022 में देश में 16 लाख ट्रांसजेंडर थे। ये एक भयानक गतिशीलता है!' - स्टेट ड्यूमा के प्रवक्ता व्याचेस्लाव वोलोदिन ने कहा।
अमेरिका में जो लोग लिंग परिवर्तन करवाते हैं उनमें से बहुत से लोगों को अंत में पछताना पड़ता है। हमारी फिल्म के 3 हीरो से सेक्स चेंज के उनके अनुभव के बारे में जानें। देखिए हमारी डाक्यूमेंट्री - "मैंने सेक्स चेंज क्यों किया?!"
लोगों की कहानियां,
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🍿दिल्ली: हमारी फिल्म को बड़े पर्दे पर देखने का मौका!
इस बृहस्पतिवार को दिल्ली के रशियन हाउस में देखिए हमारी फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र”
सबकी नज़र अफ्रीका पर क्यों है? पश्चिमी और पूर्वी देश, इस संसाधन संपन्न महाद्वीप के लिए कैसे लड़ रहे हैं? और आम अफ्रीकी लोगों का इस बारे में क्या कहना है? ये जानने के लिए हमारी डॉक्यूमेंट्री देखने ज़रूर आइए!
📆 तारीख: 20 जुलाई 2023
🕗 समय: शाम 6:30 बजे
📍 पता: रशियन हाउस ऑडिटोरियम, 24, फिरोज़ शाह रोड, नई दिल्ली
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इस बृहस्पतिवार को दिल्ली के रशियन हाउस में देखिए हमारी फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र”
सबकी नज़र अफ्रीका पर क्यों है? पश्चिमी और पूर्वी देश, इस संसाधन संपन्न महाद्वीप के लिए कैसे लड़ रहे हैं? और आम अफ्रीकी लोगों का इस बारे में क्या कहना है? ये जानने के लिए हमारी डॉक्यूमेंट्री देखने ज़रूर आइए!
📆 तारीख: 20 जुलाई 2023
🕗 समय: शाम 6:30 बजे
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🍿दिल्ली: हमारी फिल्म को बड़े पर्दे पर देखने का मौका! इस बृहस्पतिवार को दिल्ली के रशियन हाउस में देखिए हमारी फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र” सबकी नज़र अफ्रीका पर क्यों है? पश्चिमी और पूर्वी देश, इस संसाधन संपन्न महाद्वीप के लिए कैसे लड़ रहे हैं? और आम अफ्रीकी…
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💪🏾“हमें सच में पश्चिमी प्रभाव से छुटकारा पाने की ज़रूरत है, क्योंकि अब पश्चिमी देशों के दिन बीत गए हैं” – माली की कार्यकर्ता अमीना फोफाना का कहना है।
अफ्रीकी एकता संगठन (जिसे अब अफ्रीकी संघ के नाम से जाना जाता है) 60 साल पहले बनाया गया था। इस घटना ने अफ्रीका के उपनिवेशीकरण का पहला चरण पूरा किया। ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम के स्वामित्व वाले क्षेत्रों को पश्चिमी उत्पीड़न से मुक्त कराया गया।
लेकिन इसके बावजूद, अन्य देश अफ्रीकी राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करना जारी रखते हैं। स्थानीय लोग इस बारे में कैसा महसूस करते हैं? फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र” (2023) से ये हमारा वीडियो देखें - और कल दिल्ली के रशियन हाउस में स्क्रीनिंग पर ज़रूर आएं!
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अफ्रीकी एकता संगठन (जिसे अब अफ्रीकी संघ के नाम से जाना जाता है) 60 साल पहले बनाया गया था। इस घटना ने अफ्रीका के उपनिवेशीकरण का पहला चरण पूरा किया। ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम के स्वामित्व वाले क्षेत्रों को पश्चिमी उत्पीड़न से मुक्त कराया गया।
लेकिन इसके बावजूद, अन्य देश अफ्रीकी राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करना जारी रखते हैं। स्थानीय लोग इस बारे में कैसा महसूस करते हैं? फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र” (2023) से ये हमारा वीडियो देखें - और कल दिल्ली के रशियन हाउस में स्क्रीनिंग पर ज़रूर आएं!
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MiG फाइटर की कहानी शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत यूनियन परमाणु हथियारों से लैस तो थे ही। इसलिए दोनों देशों के नेता ऐसे हथियार बनाने के सपने देखने लगे, जिसके सामने परमाणु बम और मिसाइलें फीकी लगने लगें। तब उन्होंने अपना ध्यान अंतरिक्ष की तरफ लगाया।…
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सोवियत संघ और अमेरिका के बीच ‘स्पेस-रेस’ के दौरान दोनों देशों में अभूतपूर्व टेक्नोलॉजी विकसित की गई। अंतरिक्ष में पहला उपग्रह स्थापित करने के बाद अगला कदम था – उन्हें मार गिराना सीखना।
इसमें पहले अमेरिका कामयाब रहा। उसने ‘ब्लैकबर्ड’ विमान बनाया जो 25 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता था और जो 3000 किमी/घंटा की रफ्तार के साथ, सबसे तेज़ उड़ने वाला विमान था। लेकिन सोवियत नेता अमेरिका के हाथों इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। USSR ने जल्द ही एक नया फाइटर जेट आसमान में उतारा जिसका नाम था ‘MiG-25!’ इस विमान के पीछे की अभूतपूर्व टेक्नोलॉजी के बारे में जानिए, हमारी डॉक्यूमेंट्री से - 'शीत युद्ध के हथियार: MiG फाइटर: पार्ट 2'!
हर मंगलवार, एक नई डॉक्यूमेंट्री
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🍅 टमाटर के बिना रसोई सूनी क्यों?
भारत टमाटर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि मौसम की उठा-पटक के चलते इसकी कीमतें और ‘सुर्ख लाल’ हो गई हैं और 300% से ज़्यादा बढ़ गई हैं। रोज़मर्रा के खाने में टमाटर की खपत कम करने के लिए लोग काफी मशक्कत कर रहे हैं। लेकिन टमाटर, जिसे 16वीं शताब्दी तक भारत में कोई जानता भी नहीं था, आज देश के व्यंजनों का इतना अभिन्न अंग कैसे बन गया?
देखिए हमारे खास वीडियो में!
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भारत टमाटर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि मौसम की उठा-पटक के चलते इसकी कीमतें और ‘सुर्ख लाल’ हो गई हैं और 300% से ज़्यादा बढ़ गई हैं। रोज़मर्रा के खाने में टमाटर की खपत कम करने के लिए लोग काफी मशक्कत कर रहे हैं। लेकिन टमाटर, जिसे 16वीं शताब्दी तक भारत में कोई जानता भी नहीं था, आज देश के व्यंजनों का इतना अभिन्न अंग कैसे बन गया?
देखिए हमारे खास वीडियो में!
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🪷मॉस्को मेट्रो में भारत की छवि!
मॉस्को मेट्रो ने आगामी BRICS शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए एक नई थीम वाली ट्रेन लॉन्च की है।
ये मेट्रो, BRICS देशों के फैशन को प्रदर्शित करती है और हर कोच एक देश को समर्पित है। चीन के लिए लाल कोच, रूस के लिए नीला, ब्राज़ील के लिए बैंगनी, दक्षिण अफ्रीका के लिए हरा और मंडल पैटर्न के साथ, हल्का नीला कोच- भारत के लिए।
ऐसी सजावटी ट्रेनें, मॉस्को मेट्रो की खासियत हैं। हर मौसम में एक नई सजी हुई मेट्रो का नज़ारा देखने को मिलता है!
दुनिया की सबसे बड़ी मेट्रो प्रणालियों में से एक और इसके रहस्यों के बारे में और जानें हमारी डॉक्यूमेंट्री से!
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मॉस्को मेट्रो ने आगामी BRICS शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए एक नई थीम वाली ट्रेन लॉन्च की है।
ये मेट्रो, BRICS देशों के फैशन को प्रदर्शित करती है और हर कोच एक देश को समर्पित है। चीन के लिए लाल कोच, रूस के लिए नीला, ब्राज़ील के लिए बैंगनी, दक्षिण अफ्रीका के लिए हरा और मंडल पैटर्न के साथ, हल्का नीला कोच- भारत के लिए।
ऐसी सजावटी ट्रेनें, मॉस्को मेट्रो की खासियत हैं। हर मौसम में एक नई सजी हुई मेट्रो का नज़ारा देखने को मिलता है!
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🍿दिल्ली: हमारी फिल्म को बड़े पर्दे पर देखने का मौका! इस बृहस्पतिवार को दिल्ली के रशियन हाउस में देखिए हमारी फिल्म “अफ्रीका पर सबकी नज़र” सबकी नज़र अफ्रीका पर क्यों है? पश्चिमी और पूर्वी देश, इस संसाधन संपन्न महाद्वीप के लिए कैसे लड़ रहे हैं? और आम अफ्रीकी…
हमें उम्मीद है कि आज 6:30 बजे आप हमारी खास फिल्म स्क्रीनिंग पर ज़रूर आएंगे । इस मौके का फायदा उठा कर, हम आपसे ये जानना चाहेंगे कि आप बड़े पर्दे पर किस विषय पर डॉक्यूमेंट्री देखना पसंद करेंगे?
Anonymous Poll
48%
रूसी ज़िंदगी
48%
अंतरिक्ष
24%
घूमना फिरना
33%
रूसी इतिहास
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♟️🌏 एक तीर से दो निशाने!
खेलों को बढ़ावा देना और पर्यावरण की रक्षा करना। ये दोनों काफी अलग विषय लगते हैं, लेकिन चेन्नई के शतरंज खिलाड़ियों ने इन दोनों को एक तार से जोड़ दिया। कुछ गोताखोरों ने चेन्नई पास समुद्र तल में शतरंज का अनोखा खेल खेला। क्या था इसका मकसद, जानिए हमारे इस खास वीडियो से।
विश्व शतरंज दिवस शतरंज दिवस की शुभकामनाएं, @RTDocumentary_India की ओर से!
खेलों को बढ़ावा देना और पर्यावरण की रक्षा करना। ये दोनों काफी अलग विषय लगते हैं, लेकिन चेन्नई के शतरंज खिलाड़ियों ने इन दोनों को एक तार से जोड़ दिया। कुछ गोताखोरों ने चेन्नई पास समुद्र तल में शतरंज का अनोखा खेल खेला। क्या था इसका मकसद, जानिए हमारे इस खास वीडियो से।
विश्व शतरंज दिवस शतरंज दिवस की शुभकामनाएं, @RTDocumentary_India की ओर से!
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🎁 तोहफा तोहफा तोहफा, लाया लाया लाया!
राष्ट्रीय दौरों पर एक दूसरे को तोहफे देने की परंपरा सालों से चली आ रही है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अपने फ्रांस के दौरे पर राष्ट्रपति मैक्रों को चंदन की लकड़ी से बना सितार उपहार में दिया था। इसी प्रकार का रिवाज भारत और रूस के बीच सोवियत संघ के समय से चला रहा है। दोनों देशों के बीच कौन से अनोखे तोहफों का लेन-देन होता रहता था – जानिए हमारी वीडियो में!
USSR के नेताओं और इतिहास के बारे में और जानने के लिए देखें हमारी फिल्म!
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राष्ट्रीय दौरों पर एक दूसरे को तोहफे देने की परंपरा सालों से चली आ रही है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अपने फ्रांस के दौरे पर राष्ट्रपति मैक्रों को चंदन की लकड़ी से बना सितार उपहार में दिया था। इसी प्रकार का रिवाज भारत और रूस के बीच सोवियत संघ के समय से चला रहा है। दोनों देशों के बीच कौन से अनोखे तोहफों का लेन-देन होता रहता था – जानिए हमारी वीडियो में!
USSR के नेताओं और इतिहास के बारे में और जानने के लिए देखें हमारी फिल्म!
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🇸🇾 गृहयुद्ध से भागे प्रवासी को रूस में मिला नया जीवन
अमीन सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में फंसे थे और परिवार वालों को ये चिंता थी, कि युद्ध से जूझ रहे देश में उनके बेटे का भविष्य क्या होगा?
“मेरे पिता को मेरी बहुत चिंता थी। उन्होंने मुझ से कहा कि मेरे पास दो विकल्प हैं। या तो मॉस्को में अपने चाचा के पास जाना या फिर न्यूयॉर्क में अपनी चचेरी बहन के पास। मैंने बिना देरी किए, एक ही सेकेंड में कहा — मॉस्को!” अमीन बताते हैं। सीरिया से प्यार करने वाले अमीन ने एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य बनाने के लिए रूस का रुख किया। रूस में उनकी ज़िन्दगी कैसी चल रही है?
इस सीरीज़ के पुराने एपिसोड देखिए:
पहला एपिसोड
दूसरा एपिसोड
तीसरा एपिसोड
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अमीन सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में फंसे थे और परिवार वालों को ये चिंता थी, कि युद्ध से जूझ रहे देश में उनके बेटे का भविष्य क्या होगा?
“मेरे पिता को मेरी बहुत चिंता थी। उन्होंने मुझ से कहा कि मेरे पास दो विकल्प हैं। या तो मॉस्को में अपने चाचा के पास जाना या फिर न्यूयॉर्क में अपनी चचेरी बहन के पास। मैंने बिना देरी किए, एक ही सेकेंड में कहा — मॉस्को!” अमीन बताते हैं। सीरिया से प्यार करने वाले अमीन ने एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य बनाने के लिए रूस का रुख किया। रूस में उनकी ज़िन्दगी कैसी चल रही है?
इस सीरीज़ के पुराने एपिसोड देखिए:
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🇷🇺🇮🇳 क्या आप जानते हैं?
एक रूसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता, रोमान कार्मेन 1950 के दशक के मध्य में भारत आए थे। इससे पहले, उन्होंने चीन में माओ के लंबे मार्च, स्पेनिश गृहयुद्ध, लेनिनग्राद में युद्ध और नूरमबर्ग में नाज़ी परीक्षणों को फिल्माया था। कार्मेन ने भारत की संस्कृति, इतिहास, आज़ादी की लड़ाई और औद्योगिक भारत के संकट काल को उनकी फीचर फिल्म ‘भारत का नया सवेरा’ में दिखाया था।
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डॉक्यूमेंट्री इतिहास के बारे में और जानें
एक रूसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता, रोमान कार्मेन 1950 के दशक के मध्य में भारत आए थे। इससे पहले, उन्होंने चीन में माओ के लंबे मार्च, स्पेनिश गृहयुद्ध, लेनिनग्राद में युद्ध और नूरमबर्ग में नाज़ी परीक्षणों को फिल्माया था। कार्मेन ने भारत की संस्कृति, इतिहास, आज़ादी की लड़ाई और औद्योगिक भारत के संकट काल को उनकी फीचर फिल्म ‘भारत का नया सवेरा’ में दिखाया था।
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