हरियाणा की 106 साल की एथलीट रामबाई ने जीते कुल 200 से ज़्यादा मेडल। देहरादून में हुए 18वें राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक चैम्पियनशिप में रामबाई ने 85 वर्ष की उम्र से ज़्यादा की कैटेगरी में तीन गोल्ड मेडल जीते। रामबाई ने दिखा दिया कि सफलता का उम्र से कोई लेना-देना नहीं है।
कुछ ऐसी ही कहानी है रूस की गलीना चुविना की। 65 साल की उम्र में गलीना चाकू फेंकने की खेल में विश्व चैम्पियन हैं। 56 साल की उम्र में रिटायरमेंट के करीब पहुंच कर गलीना ने इस खेल में दिलचस्पी दिखाई और उसके बाद इतिहास रच दिया।
क्या आप भी मानते हैं कि उम्र के आखिरी पड़ाव में भी नई उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं?
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🇨🇭बिज़नेस करने के लिए स्विट्ज़रलैंड छोड़ रूस क्यों आया ये आदमी?
2010 में बेंजामिन फोरस्टर स्विट्ज़रलैंड से रूस में आकर बसने का फैसला किया। पेशे से हाउस पेंटर बेंजामिन को प्रकृति से प्यार था और इसलिए, रूस में उन्होंने मधुमक्खी पालने का काम शुरू किया। शुरूआती दिनों में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और आज उनके छोटे से गांव में उनके बनाए शहद के कई दीवाने हैं।
रूस आने के बाद बेंजामिन कज़ाकियों के एक समूह से मिले और उनकी संस्कृति से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने तलवारबाज़ी सीखी और लोकल मुकाबलों में कई ईनाम भी जीते।
क्या वो स्विट्ज़रलैंड वापस जाना चाहते हैं? जानिए हमारी नई सीरीज़ के पहले एपिसोड में
हर शुक्रवार, रूस में बसे विदेशियों की कहानियां
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2010 में बेंजामिन फोरस्टर स्विट्ज़रलैंड से रूस में आकर बसने का फैसला किया। पेशे से हाउस पेंटर बेंजामिन को प्रकृति से प्यार था और इसलिए, रूस में उन्होंने मधुमक्खी पालने का काम शुरू किया। शुरूआती दिनों में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और आज उनके छोटे से गांव में उनके बनाए शहद के कई दीवाने हैं।
रूस आने के बाद बेंजामिन कज़ाकियों के एक समूह से मिले और उनकी संस्कृति से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने तलवारबाज़ी सीखी और लोकल मुकाबलों में कई ईनाम भी जीते।
क्या वो स्विट्ज़रलैंड वापस जाना चाहते हैं? जानिए हमारी नई सीरीज़ के पहले एपिसोड में
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❓क्या आप जानते हैं?
1939 में, WWII की शुरुआत के साथ, भारत में डॉक्यूमेंट्री को सफलता मिली। अंग्रेज़ों ने युद्ध के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए, भारत में डॉक्यूमेंट्री के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचा बनाने का फैसला किया, क्योंकि भारत यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में बड़ी संख्या में सैनिक उपलब्ध कर रहा था। फिल्मों में, उन्होंने ‘एक बड़े कारण’ के लिए सेवा करने के गौरव को बढ़ावा दिया और दिखाया कि सैनिकों की अच्छी देखभाल की जा रही है और उन्होंने अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सफलतापूर्वक बनाए रखा है।
1940 में शुरू किए गए फिल्म सलाहकार बोर्ड (FAB) के अध्यक्ष जे. बी. एच. वाडिया थे और अनुभवी अलेक्ज़ेंडर शॉ मुख्य निर्माता थे। हालांकि शॉ ने मुख्य रूप से युद्ध के प्रयासों के लिए फिल्में बनाई, लेकिन इसके अलावा उन्होंने ‘वुमन ऑफ इंडिया’ और ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’ जैसी फिल्मों का भी निर्माण किया।
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डॉक्यूमेंट्री इतिहास के बारे में और जानें
1939 में, WWII की शुरुआत के साथ, भारत में डॉक्यूमेंट्री को सफलता मिली। अंग्रेज़ों ने युद्ध के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए, भारत में डॉक्यूमेंट्री के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचा बनाने का फैसला किया, क्योंकि भारत यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में बड़ी संख्या में सैनिक उपलब्ध कर रहा था। फिल्मों में, उन्होंने ‘एक बड़े कारण’ के लिए सेवा करने के गौरव को बढ़ावा दिया और दिखाया कि सैनिकों की अच्छी देखभाल की जा रही है और उन्होंने अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सफलतापूर्वक बनाए रखा है।
1940 में शुरू किए गए फिल्म सलाहकार बोर्ड (FAB) के अध्यक्ष जे. बी. एच. वाडिया थे और अनुभवी अलेक्ज़ेंडर शॉ मुख्य निर्माता थे। हालांकि शॉ ने मुख्य रूप से युद्ध के प्रयासों के लिए फिल्में बनाई, लेकिन इसके अलावा उन्होंने ‘वुमन ऑफ इंडिया’ और ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’ जैसी फिल्मों का भी निर्माण किया।
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कादिरोव की चीन पर फतह! 🇨🇳
एक चीनी कंपनी बनाएगी चेचन्या के प्रमुख रमज़ान कादिरोव के बेमिसाल पुतले। एक मूर्ति की कीमत करीब ₹12,000 होगी।
रूस के 8 मुसलमान-बहुल क्षेत्रों में से एक, चेचन्या के नेता ने अपने दमदार नेतृत्व से देश-विदेश में काफी लोकप्रियता हासिल की है, जिसमें चीन भी शामिल है।
चेचन्या और उसकी परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखना न भूलें हमारी फिल्म!
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एक चीनी कंपनी बनाएगी चेचन्या के प्रमुख रमज़ान कादिरोव के बेमिसाल पुतले। एक मूर्ति की कीमत करीब ₹12,000 होगी।
रूस के 8 मुसलमान-बहुल क्षेत्रों में से एक, चेचन्या के नेता ने अपने दमदार नेतृत्व से देश-विदेश में काफी लोकप्रियता हासिल की है, जिसमें चीन भी शामिल है।
चेचन्या और उसकी परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखना न भूलें हमारी फिल्म!
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🚇 यूरोप के सबसे बड़े सबवे का सफ़र
मॉस्को मेट्रो की शुरूआत साल 1935 में सिर्फ एक लाइन से हुई थी, तब इसकी लंबाई महज़ 11 किलोमीटर थी। आज इसमें 14 लाइनें और 400 किलोमीटर से ज़्यादा की पटरियां हैं। रोज़ाना मॉस्को मेट्रो में 90 लाख लोग सफर करते हैं और रूस की राजधानी में ये सफर करने का सबसे कारगर तरीका है।
हमारी फ़िल्म से जानिए कि मॉस्को में नए टनल और स्टेशन कैसे बनते हैं, हर एक स्टेशन को एक अलग पहचान देने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है और मॉस्को वासियों को इसमें सबसे ज़्यादा क्या पसंद है। 💬 आपका सबसे पसंदीदा स्टेशन कौन सा है?
रूस को जानिए, @RTDocumentary_India के साथ
मॉस्को मेट्रो की शुरूआत साल 1935 में सिर्फ एक लाइन से हुई थी, तब इसकी लंबाई महज़ 11 किलोमीटर थी। आज इसमें 14 लाइनें और 400 किलोमीटर से ज़्यादा की पटरियां हैं। रोज़ाना मॉस्को मेट्रो में 90 लाख लोग सफर करते हैं और रूस की राजधानी में ये सफर करने का सबसे कारगर तरीका है।
हमारी फ़िल्म से जानिए कि मॉस्को में नए टनल और स्टेशन कैसे बनते हैं, हर एक स्टेशन को एक अलग पहचान देने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है और मॉस्को वासियों को इसमें सबसे ज़्यादा क्या पसंद है। 💬 आपका सबसे पसंदीदा स्टेशन कौन सा है?
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🌷रूसी हथियारों के नाम फूलों पर
ट्यूलिप, एस्टर, बबूल – ये हैं रूसी सेल्फ प्रोपेल्ड गनों के अनोखे नाम। पहले हथियारों के नाम इंजीनियर ही रखते थे लेकिन 2018 में पहली बार बनाए गए नए रूसी हथियारों के नाम चुनने की ज़िम्मेदारी रूस की जानता को मिली। जानता ने अनोखे नाम रखने की परंपरा नहीं तोड़ी।
जानिए और दिलचस्प तथ्य रूसी हथियारों के नामकरण के बारे में हमारे वीडियो से। इनमें से आपको कौन सा नाम सब से ज़्यादा अच्छा लगा? 💬
शीत युद्ध के हथियारों के बारे में हमारी खास सीरीज़ देखिए:
टैंक: भाग 1
टैंक: भाग 2
MiG फाइटर: भाग 1
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ट्यूलिप, एस्टर, बबूल – ये हैं रूसी सेल्फ प्रोपेल्ड गनों के अनोखे नाम। पहले हथियारों के नाम इंजीनियर ही रखते थे लेकिन 2018 में पहली बार बनाए गए नए रूसी हथियारों के नाम चुनने की ज़िम्मेदारी रूस की जानता को मिली। जानता ने अनोखे नाम रखने की परंपरा नहीं तोड़ी।
जानिए और दिलचस्प तथ्य रूसी हथियारों के नामकरण के बारे में हमारे वीडियो से। इनमें से आपको कौन सा नाम सब से ज़्यादा अच्छा लगा? 💬
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♻️ प्लास्टिक बैग से छुटकारा कैसे पाएं?
रूसी शहर अनापा की अलीना ने सोचा कि प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने का बेहतरीन तरीक़ा प्लास्टिक बैगों को नया जीवन देना है। वो प्लास्टिक बैगों से घर की सजावट के लिए अलग-अलग चीज़ें और बच्चों के खिलौने बुनती हैं। इस तरह से वो अपने शहर की सफ़ाई में योगदान देती हैं।
कोविड-19 पैंडेमिक के 3 सालों में सभी देशों में आम कूड़े के साथ-साथ मेडिकल कूड़े की मात्रा भी बढ़ गई है। कैसे लोग इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करते हैं? जानिए हमारी फ़िल्म से
प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर आप क्या सोचते हैं? कमेंट में बताइए ⬇️
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रूसी शहर अनापा की अलीना ने सोचा कि प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने का बेहतरीन तरीक़ा प्लास्टिक बैगों को नया जीवन देना है। वो प्लास्टिक बैगों से घर की सजावट के लिए अलग-अलग चीज़ें और बच्चों के खिलौने बुनती हैं। इस तरह से वो अपने शहर की सफ़ाई में योगदान देती हैं।
कोविड-19 पैंडेमिक के 3 सालों में सभी देशों में आम कूड़े के साथ-साथ मेडिकल कूड़े की मात्रा भी बढ़ गई है। कैसे लोग इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करते हैं? जानिए हमारी फ़िल्म से
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🇮🇳 में सावन का महीना आ गया है, और कई युवा भारतीय लड़कियां अपना मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखती हैं। जानिए कि रूसी लड़कियां क्या करती हैं!
7 जुलाई को रूस में "इवान कुपाला" नाम का एक प्राचीन त्यौहार मनाया जाता है। त्यौहार की पिछली रात जवान लड़कियों के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। कहा जाता है कि उस रात अविवाहित लड़कियों को कुछ खास रिवाज़ों के ज़रिए अपनी इच्छाएं पूरी करने और अपने होने वाले पतियों के बारे में जानने का मौका मिलता है।
हमारे वीडियो में देखिए कि रूसी लड़कियां ये त्यौहार कैसे मनाती थीं!
🇷🇺 को जानिए,
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7 जुलाई को रूस में "इवान कुपाला" नाम का एक प्राचीन त्यौहार मनाया जाता है। त्यौहार की पिछली रात जवान लड़कियों के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। कहा जाता है कि उस रात अविवाहित लड़कियों को कुछ खास रिवाज़ों के ज़रिए अपनी इच्छाएं पूरी करने और अपने होने वाले पतियों के बारे में जानने का मौका मिलता है।
हमारे वीडियो में देखिए कि रूसी लड़कियां ये त्यौहार कैसे मनाती थीं!
🇷🇺 को जानिए,
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चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को होगा लॉन्च, ISRO ने दी जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को बताया कि चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 बजे होगी। मिशन के तहत चंद्रमा की सतह के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण भेजे जाएंगे। जिससे चंद्रमा के चट्टानों की ऊपरी परत की थर्मोफिजिकल विशेषताएं, भूकंप की आवृति, प्लाज्मा पर्यावरण और वहां की मौलिक संरचना के बारे में जानकारी एकत्रित की जा सके।
जुड़िए @RT_Hindi से
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को बताया कि चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 बजे होगी। मिशन के तहत चंद्रमा की सतह के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण भेजे जाएंगे। जिससे चंद्रमा के चट्टानों की ऊपरी परत की थर्मोफिजिकल विशेषताएं, भूकंप की आवृति, प्लाज्मा पर्यावरण और वहां की मौलिक संरचना के बारे में जानकारी एकत्रित की जा सके।
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चंद्रयान – अंतरिक्ष एक्सप्लोरेशन का भविष्य? 🚀
भारत में चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च की तैयारियां ज़ोरो-शोरो से हो रही हैं, तो इसी अवसर पर आइए याद करते हैं अंतरिक्ष की रिसर्च से जुड़ा एक अनोखा अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट – अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन। इसकी कहानी शुरू होती है साल 2000 में। आज तक वहां 21 देशों के 269 अंतरिक्ष यात्री काम कर चुके हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों की तैयारी कैसी होती है? जानने के लिए देखिए हमारा वीडियो और अगले मंगलवार मिस न करें रूसी अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों के बारे में हमारी खास फ़िल्म!
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
भारत में चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च की तैयारियां ज़ोरो-शोरो से हो रही हैं, तो इसी अवसर पर आइए याद करते हैं अंतरिक्ष की रिसर्च से जुड़ा एक अनोखा अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट – अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन। इसकी कहानी शुरू होती है साल 2000 में। आज तक वहां 21 देशों के 269 अंतरिक्ष यात्री काम कर चुके हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों की तैयारी कैसी होती है? जानने के लिए देखिए हमारा वीडियो और अगले मंगलवार मिस न करें रूसी अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों के बारे में हमारी खास फ़िल्म!
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
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🇫🇷 रूस में बसे एक फ्रांसीसी शेफ़ का सफर
फ्रांसीसी शेफ़, फ़्रेड्रिक, दुनिया के कई देशों में काम कर चुके हैं। फ्रांस में तो वो एक मिशिलिन स्टार रेस्टोरेंट में पेस्ट्री शेफ़ थे। लेकिन फिर, उन्हें रूस के एक रेस्टोरेंट से बुलावा आया। एक बार रूस पहुंचने के बाद फ़्रेड्रिक का दिल वहीं लग गया और वो रूस के ही होकर रह गए।
फ़्रेड्रिक ने रूस की संस्कृति को अपने रोम-रोम में बसा लिया है। वो अपने ससुराल वालों के साथ बान्या जाते हैं और रूसी त्योहार भी मनाते हैं। 🥐 रूस में उन्होंने अपनी एक बेकरी खोली है, और वहां के लोग फ़्रेड्रिक के हाथों से बने केक और पेस्ट्री के दीवाने हैं।
फ़्रेड्रिक का ऐसा क्यों मानना है कि बेकरी और फ़ार्मेसी में काम करने वाले लोग एक जैसे होते हैं? अगर वो शेफ़ न होते, तो क्या होते? ऐसे ही कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब जानिए हमारी सीरीज़ के नए एपिसोड में!
पहला एपिसोड देखने के लिए यहां क्लिक करें
हर शुक्रवार, रूस में बसे विदेशियों की दिलचस्प कहानियां, सिर्फ
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फ्रांसीसी शेफ़, फ़्रेड्रिक, दुनिया के कई देशों में काम कर चुके हैं। फ्रांस में तो वो एक मिशिलिन स्टार रेस्टोरेंट में पेस्ट्री शेफ़ थे। लेकिन फिर, उन्हें रूस के एक रेस्टोरेंट से बुलावा आया। एक बार रूस पहुंचने के बाद फ़्रेड्रिक का दिल वहीं लग गया और वो रूस के ही होकर रह गए।
फ़्रेड्रिक ने रूस की संस्कृति को अपने रोम-रोम में बसा लिया है। वो अपने ससुराल वालों के साथ बान्या जाते हैं और रूसी त्योहार भी मनाते हैं। 🥐 रूस में उन्होंने अपनी एक बेकरी खोली है, और वहां के लोग फ़्रेड्रिक के हाथों से बने केक और पेस्ट्री के दीवाने हैं।
फ़्रेड्रिक का ऐसा क्यों मानना है कि बेकरी और फ़ार्मेसी में काम करने वाले लोग एक जैसे होते हैं? अगर वो शेफ़ न होते, तो क्या होते? ऐसे ही कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब जानिए हमारी सीरीज़ के नए एपिसोड में!
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❤️ 👨🦼इस प्यार पर किसी को यकीन नहीं था
आन्ना कज़ाखस्तान से हैं और ग्रिगोरी रूस से हैं। इन दोनों की मुलाकात ऑनलाइन हुई और दोनों तुरंत एक दूसरे के प्यार में पड़ गए।
ग्रिगोरी को एक असाधारण जेनेटिक बीमारी है जिस वजह से उनकी मांसपेशियां कमज़ोर होती जा रही हैं। लेकिन उनकी बीमारी से आन्ना को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। आज के दिन रूस में मनाए जाने वाले परिवार, प्रेम और निष्ठा दिवस के मौके पर जानिए इस अजब प्रेम की गजब कहानी, सिर्फ और सिर्फ हमारी फ़िल्म में!
💬 सच्चा प्यार पाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं?
बने रहिए, @RTDocumentary_India के साथ
आन्ना कज़ाखस्तान से हैं और ग्रिगोरी रूस से हैं। इन दोनों की मुलाकात ऑनलाइन हुई और दोनों तुरंत एक दूसरे के प्यार में पड़ गए।
ग्रिगोरी को एक असाधारण जेनेटिक बीमारी है जिस वजह से उनकी मांसपेशियां कमज़ोर होती जा रही हैं। लेकिन उनकी बीमारी से आन्ना को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। आज के दिन रूस में मनाए जाने वाले परिवार, प्रेम और निष्ठा दिवस के मौके पर जानिए इस अजब प्रेम की गजब कहानी, सिर्फ और सिर्फ हमारी फ़िल्म में!
💬 सच्चा प्यार पाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं?
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❓ क्या आप जानते हैं?
पारसी व्यवसायी जमशेदजी फ्रामजी मदन ने 1907 में कोलकाता में एलफिन्स्टन पिक्चर पैलेस का निर्माण किया था। ये देश में अपनी तरह का पहला सिनेमाघर था। इसका नाम बाद में बदल कर ‘मिनर्वा सिनेमा’ किया गया और इसके बाद ‘चैपलिन सिनेमा’ कर दिया गया। दुर्भाग्य से कई सालों तक बंद पड़े रहने के बाद 2013 में इस इमारत को गिरा दिया गया।
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फ़िल्मों के इतिहास के बारे में और जानें
पारसी व्यवसायी जमशेदजी फ्रामजी मदन ने 1907 में कोलकाता में एलफिन्स्टन पिक्चर पैलेस का निर्माण किया था। ये देश में अपनी तरह का पहला सिनेमाघर था। इसका नाम बाद में बदल कर ‘मिनर्वा सिनेमा’ किया गया और इसके बाद ‘चैपलिन सिनेमा’ कर दिया गया। दुर्भाग्य से कई सालों तक बंद पड़े रहने के बाद 2013 में इस इमारत को गिरा दिया गया।
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फ़िल्मों के इतिहास के बारे में और जानें
🇮🇳🚀 भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन 2024 में लॉन्च होने वाला है। आपके ख्याल से, इसके सदस्यों को क्या कहा जाना चाहिए?
Anonymous Poll
67%
गगननॉट
10%
व्योमनॉट
19%
कॉस्मोनॉट
5%
आपका अपना सुझाव (टिप्पणियों में)
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🛰 रूसी अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों के सफर की कहानी
रूस की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी रोसकॉस्मस द्वारा चलाए गए नए भर्ती अभियान के लिए 420 लोगों ने आवेदन किया है। RT डॉक्यूमेंट्री की टीम ने 2 साल तक 3 अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों की तैयारियों को देखा।
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्हें कड़े इम्तिहानों से गुज़रना पड़ा। उनकी शैक्षिक योग्यता, शारीरिक और मानसिक सेहत, अंग्रेज़ी का ज्ञान – सब कुछ बारीकी से परखा गया। इस प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा बनने के लिए उनका कद, वज़न और जूतों का नाप तक मायने रखता है। इन 3 उम्मीदवारों में से वो कौन है, जो ये सारे इम्तिहान पास कर पाया? जानिए हमारी फिल्म से
सितारों की ओर, @RTDocumentary_India के साथ
रूस की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी रोसकॉस्मस द्वारा चलाए गए नए भर्ती अभियान के लिए 420 लोगों ने आवेदन किया है। RT डॉक्यूमेंट्री की टीम ने 2 साल तक 3 अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों की तैयारियों को देखा।
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्हें कड़े इम्तिहानों से गुज़रना पड़ा। उनकी शैक्षिक योग्यता, शारीरिक और मानसिक सेहत, अंग्रेज़ी का ज्ञान – सब कुछ बारीकी से परखा गया। इस प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा बनने के लिए उनका कद, वज़न और जूतों का नाप तक मायने रखता है। इन 3 उम्मीदवारों में से वो कौन है, जो ये सारे इम्तिहान पास कर पाया? जानिए हमारी फिल्म से
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👨👩👧👦 दुनिया का सबसे बड़ा परिवार
भारत के नाम कई विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन आज विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं एक ऐसे परिवार की कहानी, जो दुनिया में सबसे बड़ा है। मिज़ोरम के ज़िओना चाना इस परिवार के प्रमुख हैं और उनके 94 बच्चे हैं! देखिए ये दिलचस्प वीडियो
आपकी जानकारी में सबसे बड़ा परिवार कितना बड़ा है? कमेंट में बताइये ⬇️
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भारत के नाम कई विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन आज विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं एक ऐसे परिवार की कहानी, जो दुनिया में सबसे बड़ा है। मिज़ोरम के ज़िओना चाना इस परिवार के प्रमुख हैं और उनके 94 बच्चे हैं! देखिए ये दिलचस्प वीडियो
आपकी जानकारी में सबसे बड़ा परिवार कितना बड़ा है? कमेंट में बताइये ⬇️
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रूस Vs. उत्तर प्रदेश
क्या आपको पता है कि भारत के सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पूरे रूस की तुलना में ज़्यादा लोग रहते हैं? हालांकि क्षेत्रफल के मामले में रूस UP से 70 गुना बड़ा है!
विश्व जनसंख्या दिवस पर देखिए कि दुनिया की जनसंख्या कैसे बढ़ी और इस तुलना में भारत और रूस कहां खड़े होते हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक हज़ार साल पहले विश्व की जनसंख्या में भारत का हिस्सा एक तिहाई से भी ज़्यादा था?
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क्या आपको पता है कि भारत के सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पूरे रूस की तुलना में ज़्यादा लोग रहते हैं? हालांकि क्षेत्रफल के मामले में रूस UP से 70 गुना बड़ा है!
विश्व जनसंख्या दिवस पर देखिए कि दुनिया की जनसंख्या कैसे बढ़ी और इस तुलना में भारत और रूस कहां खड़े होते हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक हज़ार साल पहले विश्व की जनसंख्या में भारत का हिस्सा एक तिहाई से भी ज़्यादा था?
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सब से बड़ी टैंक लड़ाई
इस पोस्ट से जानिए अतीत की सब से बड़ी टैंक लड़ाई का इतिहास और हमारी सीरीज़ से जानिए सोवियत टैंक के राज़:
शीत युद्ध के हथियार। टैंक। एपिसोड 1
शीत युद्ध के हथियार। टैंक। एपिसोड 2
अतीत और वर्तमान, @RTDocumentary_India के साथ
इस पोस्ट से जानिए अतीत की सब से बड़ी टैंक लड़ाई का इतिहास और हमारी सीरीज़ से जानिए सोवियत टैंक के राज़:
शीत युद्ध के हथियार। टैंक। एपिसोड 1
शीत युद्ध के हथियार। टैंक। एपिसोड 2
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इतिहास में आजः 1943 में हुई थी 'अतीत की सबसे बड़ी टैंक लड़ाई'
प्रोखोरोव्का की लड़ाई 12 जुलाई 1943 को हुई थी। इसमें सोवियत रूस और नाजी जर्मनी की सेनाएं आमने-सामने थीं। इस लड़ाई में सोवियत 5वीं गार्ड टैंक सेना और द्वितीय एसएस पैंजर कोर के बीच बख्तरबंद वाहनों…
प्रोखोरोव्का की लड़ाई 12 जुलाई 1943 को हुई थी। इसमें सोवियत रूस और नाजी जर्मनी की सेनाएं आमने-सामने थीं। इस लड़ाई में सोवियत 5वीं गार्ड टैंक सेना और द्वितीय एसएस पैंजर कोर के बीच बख्तरबंद वाहनों…
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🏅 हिम्मत-ए-मर्दा, तो मदद-ए-खुदा
रूसी एथलीट रोमान कोस्तोमारोव ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। आइस स्केटिंग की कला में मशहूर इस खिलाड़ी को इस साल 175 दिन अस्पताल में बिताने पड़े। उन्हें क्या हुआ? गंभीर निमोनिया की वजह से उनके हाथ और पैर काटने पड़े। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी! मेडिकल कोमा से होश में आने के बाद, रोमान ने अपनी ट्रेनिंग फिर से शुरू की है। उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में जानिए हमारे वीडियो से
अपनी मंज़िल को पाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं? कमेंट में बताइये 💬
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रूसी एथलीट रोमान कोस्तोमारोव ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। आइस स्केटिंग की कला में मशहूर इस खिलाड़ी को इस साल 175 दिन अस्पताल में बिताने पड़े। उन्हें क्या हुआ? गंभीर निमोनिया की वजह से उनके हाथ और पैर काटने पड़े। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी! मेडिकल कोमा से होश में आने के बाद, रोमान ने अपनी ट्रेनिंग फिर से शुरू की है। उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में जानिए हमारे वीडियो से
अपनी मंज़िल को पाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं? कमेंट में बताइये 💬
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