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क्या आप किस्मत को मानते हैं?
लाखों लोग अपनी तकदीर बदलने की उम्मीद में लॉटरी टिकट खरीदकर अपनी किस्मत आजमाते हैं। अकसर लोगों को इसकी लत लग जाती है जो उनकी और उनके परिवार की ज़िन्दगी को तबाह कर देती है। पर कभी-कभी कम उम्मीद करने पर भी किस्मत खुश हो जाती है। देखें केरल से दिल छू जाने वाली एक ऐसी ही कहानी हमारे विडियो से!
कूड़ा बीनने वालों का जीवन कठिन, कड़ी मेहनत और कई खतरों से भरा होता है। हमारी डॉक्यूमेंट्री में जानें कि कैसे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए वे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं। साथ ही ये जानें कि कोविड महामारी ने कैसे गरीब तबके के लोगों की कामकाजी स्थितियों को प्रभावित किया।
अनोखी कहानियां, @RTDocumentary_India के साथ।
लाखों लोग अपनी तकदीर बदलने की उम्मीद में लॉटरी टिकट खरीदकर अपनी किस्मत आजमाते हैं। अकसर लोगों को इसकी लत लग जाती है जो उनकी और उनके परिवार की ज़िन्दगी को तबाह कर देती है। पर कभी-कभी कम उम्मीद करने पर भी किस्मत खुश हो जाती है। देखें केरल से दिल छू जाने वाली एक ऐसी ही कहानी हमारे विडियो से!
कूड़ा बीनने वालों का जीवन कठिन, कड़ी मेहनत और कई खतरों से भरा होता है। हमारी डॉक्यूमेंट्री में जानें कि कैसे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए वे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं। साथ ही ये जानें कि कोविड महामारी ने कैसे गरीब तबके के लोगों की कामकाजी स्थितियों को प्रभावित किया।
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🥁रुसी संस्कृति से प्यार
अलेक्सांद्रो एड्सो संगीत की शिक्षा हासिल करने अंगोला से चेल्याबिंस्क आए थे। लेकिन रूसी संस्कृति और रूसी रूढ़िवादी चर्च के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने बपतिस्मा लेने और एक पादरी के रूप में प्रशिक्षित होने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने चेल्याबिंस्क एपर्कि के दिव्य सेवा पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सोवियत काल के दौरान भी कई अफ्रीकी लोग रूस आते थे और यहीं पर अपना जीवन बसा लेते थे। उनमें से कुछ लोग अफ्रीकी-अमेरिकी थे जो नस्लीय भेदभाव से बचने के लिए सोवियत संघ चले आए थे। आज, उनके कुछ वंशज रूसी व्यापार और मनोरंजन के उद्योग में प्रमुख हस्तियां हैं। हमारी फिल्म में उन अफ्रीकी अमेरिकियों की कहानियों के बारे में जानें जो सोवियत संघ के शुरुआती दिनों में रूस आ गए थे!
रूस को जानें, @RTDocumentary_India के साथ!
अलेक्सांद्रो एड्सो संगीत की शिक्षा हासिल करने अंगोला से चेल्याबिंस्क आए थे। लेकिन रूसी संस्कृति और रूसी रूढ़िवादी चर्च के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने बपतिस्मा लेने और एक पादरी के रूप में प्रशिक्षित होने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने चेल्याबिंस्क एपर्कि के दिव्य सेवा पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सोवियत काल के दौरान भी कई अफ्रीकी लोग रूस आते थे और यहीं पर अपना जीवन बसा लेते थे। उनमें से कुछ लोग अफ्रीकी-अमेरिकी थे जो नस्लीय भेदभाव से बचने के लिए सोवियत संघ चले आए थे। आज, उनके कुछ वंशज रूसी व्यापार और मनोरंजन के उद्योग में प्रमुख हस्तियां हैं। हमारी फिल्म में उन अफ्रीकी अमेरिकियों की कहानियों के बारे में जानें जो सोवियत संघ के शुरुआती दिनों में रूस आ गए थे!
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हमारी डॉक्यूमेंट्री ‘टुण्ड्रा मां – सबसे बड़ी योद्धा’ को मलेशिया के ‘वॉक द डॉक 2023 इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फेस्टिवल’ का विजेता घोषित किया गया है। इस फेस्टिवल में पर्यावरण, संरक्षण और यात्रा पर बनाई गईं सर्वोत्तम फिल्मों की सराहना की जाती है। येकातेरीना कोज़ाकीना द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म ‘टुण्ड्रा मां – सबसे बड़ी योद्धा’ ‘सर्वश्रेष्ठ फीचर डॉक्यूमेंट्री’ श्रेणी में विजेता बनी। ये फिल्म उन गृहिणियों की कहानियां बयान करती है जो टुंड्रा के कठोर वातावरण में अपने खानाबदोश घरों को आरामदायक बनाती हैं। अगर आपने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा है, तो आप इसे हिन्दी में यहां देख सकते हैं!
इसके अलावा, फेस्टिवल में हमारे फिल्म निर्देशक अर्त्योम वोरोबे ने डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के ऊपर एक क्लास भी दी। साथ ही साथ वहां नताल्या कादिरोवा की फिल्म ‘बेरिंगिआ: दुनिया की सबसे बड़ी डॉग रेस’ भी दिखाई गई।
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प्रतिबंध बेअसर, रूस की अर्थव्यवस्था मज़बूत!
ताज़ी विश्व अर्थशास्त्र रिपोर्ट से पता चला है कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, 2022 के अंत तक रूस दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। साथ ही क्रय शक्ति समानता (PPP) के मामले में यूरोप में सबसे बड़ा था। विश्व बैंक और IMF द्वारा प्रकाशित आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर अनुमान के मुताबिक, पिछले साल के अंत में रूस का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) PPP के हिसाब से $5.51 ट्रिलियन था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़ा $3.993 ट्रिलियन के आधिकारिक अनुमान से 38% बड़ा है। इससे यह भी पता चला कि क्रय-शक्ति समानता (PPP) में मापे जाने पर रूसी अर्थव्यवस्था जर्मनी से भी आगे थी, जर्मनी की GDP $5 ट्रिलियन थी।
पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध किस तरह बेअसर साबित हुए हैं और कैसे रूसी अर्थव्यवस्था और उद्योगपतियों ने इसे एक मौके की तरह देखा, ये जानने के लिए ज़रूर देखिए हमारी खास डॉक्यूमेंट्री “सैंक्शन: आपदा में अवसर”
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ताज़ी विश्व अर्थशास्त्र रिपोर्ट से पता चला है कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, 2022 के अंत तक रूस दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। साथ ही क्रय शक्ति समानता (PPP) के मामले में यूरोप में सबसे बड़ा था। विश्व बैंक और IMF द्वारा प्रकाशित आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर अनुमान के मुताबिक, पिछले साल के अंत में रूस का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) PPP के हिसाब से $5.51 ट्रिलियन था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़ा $3.993 ट्रिलियन के आधिकारिक अनुमान से 38% बड़ा है। इससे यह भी पता चला कि क्रय-शक्ति समानता (PPP) में मापे जाने पर रूसी अर्थव्यवस्था जर्मनी से भी आगे थी, जर्मनी की GDP $5 ट्रिलियन थी।
पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध किस तरह बेअसर साबित हुए हैं और कैसे रूसी अर्थव्यवस्था और उद्योगपतियों ने इसे एक मौके की तरह देखा, ये जानने के लिए ज़रूर देखिए हमारी खास डॉक्यूमेंट्री “सैंक्शन: आपदा में अवसर”
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🎞 क्या आप जानते हैं?
भारत सरकार द्वारा अप्रैल 1948 में फिल्म डिवीज़न का गठन करने के बाद, भारत में सभी सिनेमाघरों में फिल्मों से पहले डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को अनिवार्य बना दिया गया। बाद में, कमर्शियल कंपनियों द्वारा प्रायोजित डॉक्यूमेंट्री भी उनके स्थान पर दिखाई गईं, जिनकी जगह बाद में विज्ञापनों ने ले ली।
💬 क्या आप फिल्मों से पहले विज्ञापनों की बजाय डॉक्यूमेंट्री देखना चाहेंगे?
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भारत सरकार द्वारा अप्रैल 1948 में फिल्म डिवीज़न का गठन करने के बाद, भारत में सभी सिनेमाघरों में फिल्मों से पहले डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को अनिवार्य बना दिया गया। बाद में, कमर्शियल कंपनियों द्वारा प्रायोजित डॉक्यूमेंट्री भी उनके स्थान पर दिखाई गईं, जिनकी जगह बाद में विज्ञापनों ने ले ली।
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गुरूदेव पर रूस का प्रभाव!
महान कवि, लेखक और दार्शनिक गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि पर हम आज रूस और उनके गहरे रिश्तों को याद कर रहे हैं। 1930 में टैगोर सोवियत संघ की यात्रा पर गए, जहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन से हुई। इन मुलाकातों और रूस की अपनी यात्रा के ज़रिये गुरुदेव ने शांति, एकता और मानवता का संदेश दुनिया भर में प्रसारित किया। अगर आपको भी यात्रा का शौक है तो जुड़िये हमारे साथ और देखिए रूस की प्राकृतिक खूबसूरती, हमारे होस्ट अंतोन की नज़रों से। हमारी फिल्म ‘रूस: 85 रोमांच’ में आपको दिखेगा रूस का वो अनोखा रूप, जो शायद आपने पहले देखा नहीं होगा।
महान कवि, लेखक और दार्शनिक गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि पर हम आज रूस और उनके गहरे रिश्तों को याद कर रहे हैं। 1930 में टैगोर सोवियत संघ की यात्रा पर गए, जहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन से हुई। इन मुलाकातों और रूस की अपनी यात्रा के ज़रिये गुरुदेव ने शांति, एकता और मानवता का संदेश दुनिया भर में प्रसारित किया। अगर आपको भी यात्रा का शौक है तो जुड़िये हमारे साथ और देखिए रूस की प्राकृतिक खूबसूरती, हमारे होस्ट अंतोन की नज़रों से। हमारी फिल्म ‘रूस: 85 रोमांच’ में आपको दिखेगा रूस का वो अनोखा रूप, जो शायद आपने पहले देखा नहीं होगा।
भारत का स्वतंत्रता दिवस अब बहुत दूर नहीं है, तो इसी मौके पर हम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ आपके लिए एक खास सीरीज़ लेकर आए हैं जो स्वतंत्रता के सार और दोस्ती की ताकत को उजागर करती है। पेश हैं “आज़ादी के रंग, दोस्ती के संग”। तो चलिए हमारे साथ, समय और साझा मूल्यों की इस अद्भुत यात्रा पर। जिसमें हम भारत की आज़ादी के जज़्बे के साथ-साथ, भारत और रूस के बीच की गहरी दोस्ती का जश्न मनाएंगे! 🇮🇳 🤝🇷🇺
जुड़िए हमारे साथ हर दिन, क्योंकि हम बहुत सी अनोखी कहानियों, अनसुने किस्सों और इतिहास में घटी कुछ अद्भुत घटनाओं के सिलसिले को आपके पास ला रहे हैं। ये सभी किस्से-कहानियां, इन दो महान देशों को एक मज़बूत धागे से जोड़ते हैं। कुछ अनोखे ऐतिहासिक पलों से लेकर दिल को छू लेने वाले संबंधों की कहानियों तक, ये सीरीज़ उस अटूट बंधन को समर्पित है जो जीत हो या हार, कामयाबी मिले या चुनौतियां, आज भी उतना ही मज़बूत है जितना दशकों से चला आ रहा है!
इस सीरीज़ से जुड़े सभी दिलचस्प अपडेट जानने के लिए हमें सब्सक्राइब करें! @RTDocumentary_India
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🤝️️ जब स्टालिन ने भगत सिंह को आमंत्रित किया
जैसे-जैसे हम स्वतंत्रता दिवस के महत्वपूर्ण अवसर के करीब आते जा रहे हैं, आइए हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को फिर से याद करें, जिनके आदर्शों और बहादुरी ने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को आकार दिया। उनमें से, भगत सिंह का नाम हमारे आज के युवाओं के दिलों में भी एक अमिट छाप छोड़ चुका है।
इस वीडियो में, हम 1928 की भगत सिंह के जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानी को पेश कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि सोवियत यूनियन के प्रसिद्ध नेता जोसेफ स्टालिन ने भगत सिंह को मास्को आने का विशेष निमंत्रण दिया था। लेकिन सवाल ये है कि क्या भगत सिंह ने ये निमंत्रण स्वीकार किया?
इस ऐतिहासिक यात्रा में हमारे साथ जुड़ें 🇮🇳🤝🇷🇺
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डॉक्यूमेंट्री इतिहास के बारे में और जानें
जैसे-जैसे हम स्वतंत्रता दिवस के महत्वपूर्ण अवसर के करीब आते जा रहे हैं, आइए हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को फिर से याद करें, जिनके आदर्शों और बहादुरी ने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को आकार दिया। उनमें से, भगत सिंह का नाम हमारे आज के युवाओं के दिलों में भी एक अमिट छाप छोड़ चुका है।
इस वीडियो में, हम 1928 की भगत सिंह के जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानी को पेश कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि सोवियत यूनियन के प्रसिद्ध नेता जोसेफ स्टालिन ने भगत सिंह को मास्को आने का विशेष निमंत्रण दिया था। लेकिन सवाल ये है कि क्या भगत सिंह ने ये निमंत्रण स्वीकार किया?
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👃 रूसी आदिवासी सूंघ कर करते हैं अलविदा!
रूस के आदिवासी चुक्ची, एक जनजातीय समूह है जो रूस के सुदूर उत्तर-पूर्व के चुकोतका में रहता है। वे बहुत ही कठोर वातावरण में रहते हैं जहां का तापमान गर्मियों में भी 18 डिग्री से ऊपर नहीं जाता। ऐसी कठिन परिस्थितियों में पनपी इन लोगों की परंपराएं और जीवन शैली भी बहुत अनोखे हैं। जैसे, अलविदा कहते वक्त एक-दूसरे को चूमने की बजाय ये लोग सूंघते हैं। वे अपने प्रियजनों की सुगंध को अपनी सांसों में भर लेते हैं जिसे वे तब तक याद रखते हैं जब तक वे दोबारा न मिलें।
चूंकि चुकोतका इतना ठंडा इलाका है, वहां कोई फसल नहीं उगती, इसलिए चुक्ची लोग व्हेल का शिकार करते हैं और उसी के मांस पर ज़िंदा रहते हैं। पुरुष शिकार करने के लिए समुद्र में जाते हैं, और जो भी पकड़ कर लाते हैं वो अपने समुदाय में बांट देते हैं।
हमारी फिल्म “मैं हूं शिकारी” में चुक्ची व्हेल शिकारियों के दिलचस्प जीवन के बारे में और जानें!
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रूस के आदिवासी चुक्ची, एक जनजातीय समूह है जो रूस के सुदूर उत्तर-पूर्व के चुकोतका में रहता है। वे बहुत ही कठोर वातावरण में रहते हैं जहां का तापमान गर्मियों में भी 18 डिग्री से ऊपर नहीं जाता। ऐसी कठिन परिस्थितियों में पनपी इन लोगों की परंपराएं और जीवन शैली भी बहुत अनोखे हैं। जैसे, अलविदा कहते वक्त एक-दूसरे को चूमने की बजाय ये लोग सूंघते हैं। वे अपने प्रियजनों की सुगंध को अपनी सांसों में भर लेते हैं जिसे वे तब तक याद रखते हैं जब तक वे दोबारा न मिलें।
चूंकि चुकोतका इतना ठंडा इलाका है, वहां कोई फसल नहीं उगती, इसलिए चुक्ची लोग व्हेल का शिकार करते हैं और उसी के मांस पर ज़िंदा रहते हैं। पुरुष शिकार करने के लिए समुद्र में जाते हैं, और जो भी पकड़ कर लाते हैं वो अपने समुदाय में बांट देते हैं।
हमारी फिल्म “मैं हूं शिकारी” में चुक्ची व्हेल शिकारियों के दिलचस्प जीवन के बारे में और जानें!
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🤝 भारत-रूस: दिल से जुड़े हैं दोस्ती के तार!
नक्शे पर भले ही मॉस्को और नई दिल्ली दूर हो सकते हैं, लेकिन उनके दिल एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। दोनों देशों के बीच दोस्ती और समर्थन का एक लंबा इतिहास है।
ये वीडियो उस दोस्ती का जश्न मनाता है जो 52 सालों से चली आ रही है और साथ ही ‘हिंदी-रूसी भाई-भाई’ के नारे को याद करता है। दोनों देशों के बीच ये रिश्ता कैसे बना और इसका क्या प्रभाव पड़ा? इसका गवाह बनने से पक्की तौर पर दोनों देशों के बारे में आपकी जानकारी और बढ़ेगी।
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नक्शे पर भले ही मॉस्को और नई दिल्ली दूर हो सकते हैं, लेकिन उनके दिल एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। दोनों देशों के बीच दोस्ती और समर्थन का एक लंबा इतिहास है।
ये वीडियो उस दोस्ती का जश्न मनाता है जो 52 सालों से चली आ रही है और साथ ही ‘हिंदी-रूसी भाई-भाई’ के नारे को याद करता है। दोनों देशों के बीच ये रिश्ता कैसे बना और इसका क्या प्रभाव पड़ा? इसका गवाह बनने से पक्की तौर पर दोनों देशों के बारे में आपकी जानकारी और बढ़ेगी।
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🇷🇺 🇮🇳 फौलादी दोस्ती का प्रतीक
आज़ादी के बाद भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और औद्योगीकरण को बढ़ावा देना। प्राथमिकताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर था, एक इस्पात उद्योग को विकसित करना था। इस्पात का इस्तेमाल हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में किया जाता है: ऊर्जा, निर्माण, मोटर वाहन और परिवहन, बुनियादी ढांचे, पैकेजिंग और मशीनरी।
झारखंड में स्थित बोकारो स्टील प्लांट भारत में बनने वाला पहला स्वदेशी स्टील प्लांट था, और इसे तैयार होने में पूरे 8 साल लगे। आज तक, बोकारो भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक है।
क्या आप जानते हैं कि बोकारो स्टील प्लांट भारत और रूस के बीच मज़बूत संबंधों की निशानी है? हमारे वीडियो में जानें कि परियोजना में रूस की क्या भूमिका थी!
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आज़ादी के बाद भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और औद्योगीकरण को बढ़ावा देना। प्राथमिकताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर था, एक इस्पात उद्योग को विकसित करना था। इस्पात का इस्तेमाल हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में किया जाता है: ऊर्जा, निर्माण, मोटर वाहन और परिवहन, बुनियादी ढांचे, पैकेजिंग और मशीनरी।
झारखंड में स्थित बोकारो स्टील प्लांट भारत में बनने वाला पहला स्वदेशी स्टील प्लांट था, और इसे तैयार होने में पूरे 8 साल लगे। आज तक, बोकारो भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक है।
क्या आप जानते हैं कि बोकारो स्टील प्लांट भारत और रूस के बीच मज़बूत संबंधों की निशानी है? हमारे वीडियो में जानें कि परियोजना में रूस की क्या भूमिका थी!
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😮💨 ज़िंदगी की भागदौड़ के बीच आराम का दिन!
मॉस्को के चिड़ियाघर के इस प्यारे से स्लॉथ से प्रेरणा लेते हुए, ‘राष्ट्रीय आलसी दिवस’ पर आइए मिलकर आराम फरमाएं। बिलकुल एक पक्के स्लॉथ की तरह ही, जो दिन में 14 घंटे सोता है और इत्मीनान से एक महीने में खाना पचाता है। आप भी इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी से चैन के दो पल चुराकर तरोताज़ा हो जाइए!
रूस में भले ही आपको स्लॉथ देखने को न मिलें पर वहां भालूओं की तादाद बहुत ज़्यादा है। ध्यान दीजिएगा, कहीं कोई सड़क पर न मिल जाए! हमारी इस ‘ डॉक्यूमेंट्री ‘ में मंसूर नाम के एक प्यारे से भालू की अनोखी दुनिया को देखें और जानें।
आपके लिए आराम करने के क्या मायने हैं? अपने पसंदीदा तरीके हमारे साथ साझा करें!
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मॉस्को के चिड़ियाघर के इस प्यारे से स्लॉथ से प्रेरणा लेते हुए, ‘राष्ट्रीय आलसी दिवस’ पर आइए मिलकर आराम फरमाएं। बिलकुल एक पक्के स्लॉथ की तरह ही, जो दिन में 14 घंटे सोता है और इत्मीनान से एक महीने में खाना पचाता है। आप भी इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी से चैन के दो पल चुराकर तरोताज़ा हो जाइए!
रूस में भले ही आपको स्लॉथ देखने को न मिलें पर वहां भालूओं की तादाद बहुत ज़्यादा है। ध्यान दीजिएगा, कहीं कोई सड़क पर न मिल जाए! हमारी इस ‘ डॉक्यूमेंट्री ‘ में मंसूर नाम के एक प्यारे से भालू की अनोखी दुनिया को देखें और जानें।
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🇷🇺 🇮🇳 गांधी पर तोलस्तोय का प्रभाव!
रूसी साहित्यिक दिग्गज लेव तोलस्तोय और युवा मोहनदास करमचंद गांधी वास्तव में कभी एक दूसरे से नहीं मिले। लेकिन उन दोनों के बीच का पत्राचार बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि तोलस्तोय ने न केवल गांधी के अहिंसा में अटूट विश्वास को और मज़बूत किया, बल्कि सत्याग्रह और स्वदेशी की उनकी विचारधाराओं पर भी एक गहरा प्रभाव छोड़ा।
तोलस्तोय और गांधी के बीच पत्रों के आदान-प्रदान ने गांधी को मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिरोध की गहन समझ की दिशा में उनकी परिवर्तनकारी यात्रा के लिए प्रेरित किया था। इस पत्राचार के माध्यम से, गांधी को दुनिया भर में सम्मानित साहित्यकार से सहयोग और प्रोत्साहन मिला। पर इसकी शुरुआत कैसे हुई? जानिए हमारे वीडियो में!
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रूसी साहित्यिक दिग्गज लेव तोलस्तोय और युवा मोहनदास करमचंद गांधी वास्तव में कभी एक दूसरे से नहीं मिले। लेकिन उन दोनों के बीच का पत्राचार बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि तोलस्तोय ने न केवल गांधी के अहिंसा में अटूट विश्वास को और मज़बूत किया, बल्कि सत्याग्रह और स्वदेशी की उनकी विचारधाराओं पर भी एक गहरा प्रभाव छोड़ा।
तोलस्तोय और गांधी के बीच पत्रों के आदान-प्रदान ने गांधी को मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिरोध की गहन समझ की दिशा में उनकी परिवर्तनकारी यात्रा के लिए प्रेरित किया था। इस पत्राचार के माध्यम से, गांधी को दुनिया भर में सम्मानित साहित्यकार से सहयोग और प्रोत्साहन मिला। पर इसकी शुरुआत कैसे हुई? जानिए हमारे वीडियो में!
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🚀️️🌑 चांद पर उतरने की दौड
भारत के चंद्रयान-3 मिशन के ठीक बाद, रूस के रोसकोसमोस ने आज चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लूना-25 चंद्रमा मिशन लॉन्च किया है। एक दूसरे से टकराने के खतरे से बचने के लिए, दोनों मिशनों ने अलग-अलग लैंडिंग क्षेत्र चुने हैं।
लूना-25 चांद के ध्रुव के पास बर्फ की खोज के मिशन पर निकला है, और चंद्रयान-3 सुरक्षित लैंडिंग, रोवर की गतिशीलता जांचने और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए लॉन्च किया गया है। चंद्रमा अन्वेषण के इस युग में, ये एक ऐतिहासिक पल है! आपके अनुसार कौन सा मिशन सबसे पहले चंद्रमा पर उतरेगा? आप किस मिशन को इस रेस में जीतते देखना चाहते हैं?
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भारत के चंद्रयान-3 मिशन के ठीक बाद, रूस के रोसकोसमोस ने आज चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लूना-25 चंद्रमा मिशन लॉन्च किया है। एक दूसरे से टकराने के खतरे से बचने के लिए, दोनों मिशनों ने अलग-अलग लैंडिंग क्षेत्र चुने हैं।
लूना-25 चांद के ध्रुव के पास बर्फ की खोज के मिशन पर निकला है, और चंद्रयान-3 सुरक्षित लैंडिंग, रोवर की गतिशीलता जांचने और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए लॉन्च किया गया है। चंद्रमा अन्वेषण के इस युग में, ये एक ऐतिहासिक पल है! आपके अनुसार कौन सा मिशन सबसे पहले चंद्रमा पर उतरेगा? आप किस मिशन को इस रेस में जीतते देखना चाहते हैं?
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📚 बचपन की वो परियों की कहानियों वाली पसंदीदा किताबें, कहां से आती थी, कभी सोचा?
क्या आपने ‘देनीस की कहानियां’, ‘पापा जब बच्चे थे’, और ‘नजानू की कहानियां’ जैसी किताबें पढ़ी हैं? क्या आपने बाबा यागा, इवान मूर्ख या राजकुमारी वासिलिसा का नाम सुना है? ये किताबें और पात्र, 70 और 80 के दशक में पले-बड़े रूसी और भारतीय बच्चों के बचपन का एक अटूट हिस्सा थे!
रूस में शीत युद्ध के दौरान और भारत को आज़ादी मिलने के बाद, सोवियत संघ और भारत की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी। इसी दोस्ती के तहत, सांस्कृतिक क्षेत्र में, लगभग अगले 30 सालों तक, प्रोग्रेस और रादूगा प्रकाशन, सालाना कई लाखों अनूदित किताबें भारत भेजने लगें। ये किताबें न केवल बहुत ही उत्तम कागज़ पर छापी जाती थीं, और इनमें बेहद सुंदर चित्र होते थे, बल्कि वो बहुत सस्ती भी थीं। आज भी उस पीढ़ी के लोग इन किताबों के दीवाने क्यों हैं, जानिए हमारी वीडियो में !
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क्या आपने ‘देनीस की कहानियां’, ‘पापा जब बच्चे थे’, और ‘नजानू की कहानियां’ जैसी किताबें पढ़ी हैं? क्या आपने बाबा यागा, इवान मूर्ख या राजकुमारी वासिलिसा का नाम सुना है? ये किताबें और पात्र, 70 और 80 के दशक में पले-बड़े रूसी और भारतीय बच्चों के बचपन का एक अटूट हिस्सा थे!
रूस में शीत युद्ध के दौरान और भारत को आज़ादी मिलने के बाद, सोवियत संघ और भारत की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी। इसी दोस्ती के तहत, सांस्कृतिक क्षेत्र में, लगभग अगले 30 सालों तक, प्रोग्रेस और रादूगा प्रकाशन, सालाना कई लाखों अनूदित किताबें भारत भेजने लगें। ये किताबें न केवल बहुत ही उत्तम कागज़ पर छापी जाती थीं, और इनमें बेहद सुंदर चित्र होते थे, बल्कि वो बहुत सस्ती भी थीं। आज भी उस पीढ़ी के लोग इन किताबों के दीवाने क्यों हैं, जानिए हमारी वीडियो में !
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🛢 क्या आप जानते हैं?
भारत में दो प्रमुख तेल कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर, ब्रिटिश कंपनी बर्मा ऑयल कंपनी और डच और ब्रिटिश वेंचर रॉयल डच शेल ने विज्ञापन फिल्म सहित प्रिंट और ऑडियो-विजुअल मीडिया में विज्ञापन, प्रचार और प्रचार सामग्री में भारी निवेश किया।
1954 से 1958 तक, उन्होंने लगभग 40 फिल्मों का निर्माण करने के लिए कनाडा के राष्ट्रीय फिल्म बोर्ड के जेम्स बेवरिज सहित अपनी प्रचार संबंधी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर काम करने के लिए प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं को लगाया। उनमें से कुछ सांस्कृतिक थे, कुछ औद्योगिक, जैसे “टिन फॉर इंडिया” जो मिट्टी के तेल के टिन के उत्पादन और उनके घरेलू उपयोग के सभी चरणों को दर्शाता है।
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भारत में दो प्रमुख तेल कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर, ब्रिटिश कंपनी बर्मा ऑयल कंपनी और डच और ब्रिटिश वेंचर रॉयल डच शेल ने विज्ञापन फिल्म सहित प्रिंट और ऑडियो-विजुअल मीडिया में विज्ञापन, प्रचार और प्रचार सामग्री में भारी निवेश किया।
1954 से 1958 तक, उन्होंने लगभग 40 फिल्मों का निर्माण करने के लिए कनाडा के राष्ट्रीय फिल्म बोर्ड के जेम्स बेवरिज सहित अपनी प्रचार संबंधी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर काम करने के लिए प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं को लगाया। उनमें से कुछ सांस्कृतिक थे, कुछ औद्योगिक, जैसे “टिन फॉर इंडिया” जो मिट्टी के तेल के टिन के उत्पादन और उनके घरेलू उपयोग के सभी चरणों को दर्शाता है।
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🚀 पृथ्वी से परे एक यात्रा: राकेश शर्मा की स्पेस ओडिसी 🌌
अप्रैल 1984 में, राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान ‘सोयुज टी-11’ पर कदम रखकर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया। उनका मिशन? अंतरिक्ष स्टेशन ‘सैल्युट 7’ पर 8 दिनों का असाधारण प्रवास। मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग। विशेष रूप से, शर्मा को इस ब्रह्मांडीय यात्रा की तैयारी के लिए रूस में कठोर प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा।
लेकिन इस लौकिक कथा में और भी बहुत कुछ है। एक व्यक्ति की इस यात्रा के पीछे इसरो और सोवियत अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बीच एक उल्लेखनीय साझेदारी हुई। 🌍वो जहाज जो शर्मा को ले गया था, सोयुज अंतरिक्ष यान, भारत और रूस के बीच आसमान को पाटने वाली स्थायी दोस्ती का एक प्रमाण था।
अंतरिक्ष से भारत के बारे में पूछे जाने पर उनके गहन शब्दों को कौन भूल सकता है? "सारे जहां से अच्छा" - एक भावना जो आज भी राष्ट्रीय गौरव और एकता के साथ गूंजती है। आइए इस लौकिक उपलब्धि का जश्न मनाएं जो हम सभी को प्रेरित करती रहती है। 🇮🇳🛰️
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अप्रैल 1984 में, राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान ‘सोयुज टी-11’ पर कदम रखकर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया। उनका मिशन? अंतरिक्ष स्टेशन ‘सैल्युट 7’ पर 8 दिनों का असाधारण प्रवास। मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग। विशेष रूप से, शर्मा को इस ब्रह्मांडीय यात्रा की तैयारी के लिए रूस में कठोर प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा।
लेकिन इस लौकिक कथा में और भी बहुत कुछ है। एक व्यक्ति की इस यात्रा के पीछे इसरो और सोवियत अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बीच एक उल्लेखनीय साझेदारी हुई। 🌍वो जहाज जो शर्मा को ले गया था, सोयुज अंतरिक्ष यान, भारत और रूस के बीच आसमान को पाटने वाली स्थायी दोस्ती का एक प्रमाण था।
अंतरिक्ष से भारत के बारे में पूछे जाने पर उनके गहन शब्दों को कौन भूल सकता है? "सारे जहां से अच्छा" - एक भावना जो आज भी राष्ट्रीय गौरव और एकता के साथ गूंजती है। आइए इस लौकिक उपलब्धि का जश्न मनाएं जो हम सभी को प्रेरित करती रहती है। 🇮🇳🛰️
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🇮🇳 🤝 🇷🇺 गोवा की आज़ादी में रूस का योगदान!
भारत को अंग्रेज़ों से 1947 में आज़ादी मिल गई थी। लेकिन तब भी देश के कुछ हिस्से ऐसे थे जिन्होंने आज़ादी का सूरज चढ़ते नहीं देखा। भारत के तटीय राज्य गोवा पर, देश की आज़ादी के 10 सालों बाद भी, पुर्तगाल ने कब्ज़ा किया हुआ था।
3 अप्रैल, 1961 में भारत ने गोवा को पुर्तगालियों से वापस लेने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ लॉन्च किया। तब से ये दिन ‘गोवा स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाए जाने लगा। गोवा की आज़ादी के इस सफर में, रूस ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमारे वीडियो में आप इस अद्भुत कहानी को नए रंगों में देखेंगे, जैसा आपने पहले कहीं नहीं देखा होगा! तो आइए एक नज़र डालते हैं!
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3 अप्रैल, 1961 में भारत ने गोवा को पुर्तगालियों से वापस लेने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ लॉन्च किया। तब से ये दिन ‘गोवा स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाए जाने लगा। गोवा की आज़ादी के इस सफर में, रूस ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमारे वीडियो में आप इस अद्भुत कहानी को नए रंगों में देखेंगे, जैसा आपने पहले कहीं नहीं देखा होगा! तो आइए एक नज़र डालते हैं!
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🇮🇳स्वतंत्रता दिवस की आपको बधाई!
भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर RT डॉक्यूमेंट्री, विविध संस्कृतियों और लोगों के अद्भुत संगम की भूमि भारत के देशवासियों को, रूस की तरफ से आज़ादी की हार्दिक शुभकामनाएं व बहुत-बहुत बधाई देता है! दो ऐसे देश जो इतिहास और दोस्ती के गहरे संबंधों को साझा करते हैं। आइए हम स्वतंत्रता की उस भावना का जश्न मनाएं जो हमें सीमाओं के पार एकजुट करती है। हम दिल से दुआ करते हैं कि इन दो महान राष्ट्रों का भविष्य सदैव उज्ज्वल हो!
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं!
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Forwarded from RT हिंदी
🇷🇺 राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्वतंत्रता दिवस पर 🇮🇳 को दी बधाई
उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंध रणनीतिक तौर पर काफी अहमियत रखते हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने भारत की सफलताओं का जिक्र किया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने में भारत की भूमिका अहम है। टेलीग्राम चैनल के जरिए रूसी राष्ट्रपति ने सभी भारतीय नागरिकों की सुख-समृद्धि की कामना की।
जुड़िए @RT_Hindi से
उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंध रणनीतिक तौर पर काफी अहमियत रखते हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने भारत की सफलताओं का जिक्र किया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने में भारत की भूमिका अहम है। टेलीग्राम चैनल के जरिए रूसी राष्ट्रपति ने सभी भारतीय नागरिकों की सुख-समृद्धि की कामना की।
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